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हमारे बारे में
Rajasthan Sangeet Natak Academy was established in the year 1957 by the Government of Rajasthan. The Academy is playing an active role in the promotion and preservation of classical music, folk music and theater genres. In the above mentioned art fields, the Academy has been doing important work in the state for the last 65 years with many innovations. The Academy is playing an important role in reviving local festivals and events and in identifying folk singers, instrumentalists and dancers and other disappearing art forms and providing them the necessary social security. The role of the Academy in preserving and bringing forward the research aspects in the field of creative literature is noteworthy. From time to time the Academy organizes several seminars, workshops and training camps and competitions etc. for the budding artists. The Akademi gives honors and awards to the eminent artists of various art fields of the state. The Akademi has a rich collection of inaccessible 5000 hours of taped folk music related to Sangeet Dance Drama, research and information material in the form of audio recording/filming to help the coming generation to understand the art field better. Academy's quarterly publication Rangayoga is published regularly and the Academy also works for publication cooperation on other subjects. In short, the team associated with the academy works with a sense of mission. The commitment of the Akademi family is to upgrade and preserve the art culture of the state and to inform the present and future generations about the new creation coming in the field of art.
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की स्थापना वर्ष 1957 में राजस्थान सरकार द्वारा की गई । अकादमी द्वारा शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत एवं नाट्य विधा के उन्नयन एवं संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाई जा रही है। उपरोक्त कला क्षेत्र में अकादमी ने पिछले 65 वर्षों से अनेक नवाचारों के साथ राज्य में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अकादमी ने स्थानीय पर्वो और त्योहारों को पुनर्जीवित करने के साथ लोक गायकों, वादकों व नृत्कों एवं अन्य लुप्त हो रही कला विधाओं का पता लगाने और उन्हें आवश्यक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सृजनात्मक साहित्य के क्षेत्र में शोध पहलुओं को संरक्षित करने और उन्हें सामने लाने में अकादमी की भूमिका उल्लेखनीय है। अकादमी समय-समय पर उभरते हुए कलाकारों के लिए अनेक सेमिनार, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण शिविर और प्रतियोगिताएं आदि आयोजित करती हैं। अकादमी प्रदेष के विभिन्न कला क्षेत्रों के प्रतिष्ठित कलाकारों को सम्मान और पुरूस्कार प्रदान करती हैं। अकादमी में संग्रहीत संगीत नृत्य नाटक से संबंधित अप्राप्य 5000 घंटे के टेप किए गए लोक संगीत का समृद्ध संग्रह है, यह शोध एवं सूचना सामग्री को ध्वन्यांकन/फिल्मांकन रूप में आने वाली पीढ़ी को कला क्षेत्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी। अकादमी का त्रैमासिक प्रकाशन रंगयोग नियमित रूप से प्रकाषित होने के साथ अन्य विषयों पर भी अकादमी प्रकाषन सहयोग का कार्य करती है। संक्षेप में, अकादमी से जुड़ी टीम मिशन की भावना से काम करती है। अकादमी परिवार की प्रतिबद्धता प्रदेष की कला संस्कृति के उन्नयन एवं सरंक्षण के साथ कला क्षेत्र में आने वाली नव सृजना को वर्तमान एवं भावी पीढ़ी से अवगत कराना हैं।